सड़क और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं पर खुली सरकार की पोल, जानिए पूरा मामला

सड़क और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं पर खुली सरकार की पोल, जानिए पूरा मामला

नेताओ के लच्छेदार भाषणों से जनता त्रस्त, न जाने कहाँ से उठाते है आंकड़े, जमीनी हक्कीकत कुछ और ही व्यान करती है ! घरद्वार सड़क स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करवाने का दावा करने वाली सरकारे आते और जाते रही है पर ग्रामीणों को आज भी बेहद कष्टदायक जीवन गुजरना पड रहा है ! आजादी के 75 साल बाद भी जिला कुल्लू की दुर्गम गाड़ापारली पंचायत सड़क से नहीं जुड़ पाई है। दुर्गम क्षेत्र की पंचायत के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के अभाव में जीवन-यापन करने पर विवश हैं। पंचायत के मरौड़ गांव में शुक्रवार को चार माह की बच्ची की अचानक तबीयत बिगड़ गई। छोटी बच्ची होने के कारण उसकी बीमारी भी समझ में नहीं आई। उसे क्या तकलीफ है, इसका भी पता नहीं चला। ऐसे में परिजनों ने बेटी को उपचार के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सैंज ले जाना उचित समझा।

परिजन सुबह 8:00 बजे बेटी को घर से लेकर निकले। उन्हें सड़क तक पहुंचने के लिए करीब 22 किलोमीटर का पैदल सफर करना पड़ा। बेटी का उपचार करवाने के लिए सुबह से निकले परिजन करीब 7 घंटे बाद निहारनी नामक स्थान पर पहुंचे। यहां से बच्ची को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सैंज ले जाया गया। हालांकि, सात घंटे के पैदल सफर के बीच परिजनों को पानी के तेज बहाव में उतरकर जान जोखिम में डाल शवाड़ नाला को पार करना पड़ा।

इस नाले पर बना एक पुल क्षतिग्रस्त है तो दूसरा एक साल पहले बरसात में बह गया है। ग्रामीण हीराचंद, डोले राम, लाल सिंह, शेर सिंह, जीतराम, लग्न राणा, हीरा लाल, सेसराम, तेजराम, रामचंद, गोविंद और भागचंद ने कहा कि सड़क सुविधा न होने के कारण ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई बार प्रशासन और सरकार से सड़क निर्माण का आग्रह किया गया है, लेकिन समस्या हल नहीं हो पाई है।

उधर, ग्राम पंचायत गाड़ापारली की प्रधान यमुना देवी ने कहा कि शुक्रवार को मरौड़ गांव की निवासी रक्षा देवी की पांच माह की बेटी की अचानक तबीयत बिगड़ गई। उसे 22 किलोमीटर उठाकर उपचार के लिए ले जाना पड़ा। उन्होंने ने प्रशासन और सरकार से सड़क बनाने के  लिए पहल करने की अपील की है।

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